संगीत मन शांत करता है - 2

 ''गायें गुनगुनगुनाएँ शौक से'' क्या है? यह समूह कब और कैसे बना ? और इसकी नींव किसने रखी ? आइये, आज विस्तार से जानते हैं इस ग्रुप के विषय में।  

कोई चार पांच साल पुरानी  बात है, एक दिन ( ठीक ठीक 3 अप्रैल 2017 ) को फेसबुक पर अर्चना चावजी की पोस्ट देखने को मिली थी कि वे एक गाने का व्हाट्सप्प समूह बनाने का सोच रही हैं जहाँ सिर्फ स्त्रियाँ ही होंगी। यहाँ देखिये उनका प्रस्ताव।  


इस पोस्ट को देख मन प्रसन्न हो गया और तत्काल कुछ और लोगों के अलावा हमने भी उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उनकी मंडली में शामिल हो गए।  हमारे साथ ही समान रूचि वाली कई अन्य ब्लॉगर मित्र भी थीं वहां। कुछ नियम बने, कुछ कानून और इस छोटे से कारवां में इस तरह गाने गुनगुनाने का सिलसिला चल निकला।   

देखिये इस ग्रुप के निर्माण के सम्बन्ध में अर्चना चावजी ने क्या कहा - 
शुरुआत वंदना और मेरी गीत भेजो सुनाओ से ही हुई थी। 
 मैने कोई गीत व्हाट्सएप पर भेजा सुनने को फिर उन्होंने भेजा फिर मैने ऐसा सिलसिला कुछ दिन चला फिर सोचा अपने जैसे गुनगुनाने का शौक रखने वालों को जोड़ा जाए और फेसबुक पर सूचना लिखी कि सिर्फ महिलाओं को एड। करेंगे तभी जो जो फोन नंबर देते गए जोड़ लिया फिर आगे की रामकहानी तो सब जानते हैं ,ज्यादातर शुरुआती सदस्य ही हैं। 

इसी तरह वंदना अवस्थी दुबे का कहना है - 
यही हुआ था।
साथियो, ग्रुप की शुरुआत मेरे और अर्चना जी के गीतों के आदान प्रदान से ही हुई। बहुत दिनों तक हम लोग एक दूसरे को गीत भेज रहे थे। फिर ख़याल आया कि क्यों न एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए जिसमें हम सब ब्लॉगर साथी ही हों जो गुनगुनाने की शौकीन हों। फेसबुक पर अर्चना जी ने पोस्ट डाली, नतीजा आज सामने है। 😊

गिरिजा कुलश्रेष्ठ का कहना है - 
मुझे ध्यान है जब मैंने देखा कि अर्चना ने यह ग्रुप बनाया है तो मनचाही मुराद जैसे पूरी हो गयी थी . गवास कूट कूटकर बचपन से ही भरी है 😝😝😝😝 इस ग्रुप से जुड़कर पता चला कि लेखन वेखन तो सब जबरदस्ती का काम है . असली खुशी तो गाने गुनगुनाने और सुनने में है . सो सच्ची इसी में रमा हुआ है मन . लिखना किनारे पड़ा है। 

शोभना चौरे कहती हैं - 
यही हाल मेरे भी, फट से कूद पड़ी सुर आदि का कुछ ज्ञान नहीं पर खूब आनंद आता था गाने में रोज सुबह एक भजन गा देती थी।   

संगीता अस्थाना कहती हैं - 
अर्चना जी आपको बहुत बहुत सारा स्नेह 😊 इस ग्रुप से हम सबको सुरों की जंजीर से बांध लिया आपने 🙏🏾और हमने अपने अकेलेपन को साझा किया। गुनगुनाते हुए इस सफ़र के खूबसूरत आग़ाज़ ने हमें कभी तन्हा न रहने दिया। यूं ही सब साथ साथ गाते रहें 😊💞 

रश्मि कुच्छल का कहना है -
 हाँ ,di  की पोस्ट पर मैंने पूछा था कि जो ब्लॉगर नहीं हैं मगर मन है तो ....
फिर add कर लिए गए 😄 
और कहाँ से कहाँ तक आ गए सुरों से शुरू होते होते गले से पेट तक पहुंचे 😄
पेट से paintings ,आध्यत्मिक भी हुए ।
शौकीन भी बने ,रंगीन होकर मॉडलिंग भी की ।😄 

रचना बजाज की बात भी सुनिए - 
गवास🤣🤣🤣 हम भाई बहनों की  गवास की आदत से हमारे बच्चे परेशान रहते हैं, जब भी परिवार का गेट टुगेदर होता है उनका फरमान जारी होता है की गाने कोई नही गाएगा, पर हम हैं की मानते नही 😍😍😍 

ऋता शेखर मधु का कहना है - 
हम  बाद में जुड़े। गुणी सखियों के बीच बहुत कुछ सीखे।सबके गुण बहुत प्रभावित करते हैं। बहुतों का पलायन भी देखा । 

सुनीति बैस कहती हैं - 
गाने से मन का तनाव खत्म होता है गिरजा जी और कहीं उतना आनन्द नहीं मिलता अपन लोगों को सही कहा 

साधना वैद कहती हैं - 
मैंने पहली बार फेसबुक पर अर्चना जी का कमेंट पढ़ा था इस्मत जी के किसी गाने पर । बड़ी तारीफ थी कि उन्होंने गीत में कव्वाली का मज़ा डाल कर उसे और शानदार बना दिया । तब पता चला था कि ऐसा भी होता है या ऐसा भी कोई ग्रुप है । हालाँकि तब तक संगीत से नाता टूटे सालों गुज़र चुके थे । बाथरूम में भी गुनगुनाना छूट चुका था लेकिन हमने भी अपनी अर्ज़ी डाल दी । अर्चना जी से पूछा हम भी एक गीत डाल सकते हैं अपना उनकी वाल पर । संगीता ने उसे पढ़ कर ग्रुप में शामिल करने के लिये हमारी सिफारिश अर्चना जी से कर दी और ऐसे हम भी इस ग्रुप से जुड़ गए । स्मार्ट फोन तो था हमारे पास लेकिन हमें उसका कोई भी इस्तेमाल नहीं आता था फोन पर बात करने के अलावा । बरखा ने सिखाया कि आवाज़ कैसे रिकॉर्ड करते हैं । वाणी ने लिरिक्स सर्च करना सिखाया । वंदना जी ने फोन नम्बर सेव करना सिखाया तब यह मूरत बनी जो  आपके सामने है । हम सच में महामूर्ख थे । आज भी वैसे ही हैं ।
😂😂

उषा किरण की भी सुनिए - 
मुझे गाने का बहुत शौक था खूब गाती भी थी कभी लेकिन थायरॉयड के कारण सुर ही नहीं निकलते थे, ऊपर के सुर तो खींच
 ही नहीं पाती थी लेकिन ग्रुप पर गाते- गाते गला भी खुला और ऊपर के खूब सुर भी लगने लगे...थायरॉइड गया तेल लेने और हम🧚‍♀️ 

अंजू गुप्ता का कहना है - 
 मै भी यहाँ झाँकने के चक्कर में ,लिखना पढ़ना छोड़ यहीँ धरी रहती अक़्सर😂 

मंजुला पांडे कहती हैं - 
नमस्कार मेरे प्रिय साथियों! 🙏
यह वास्तव में  मुझेअलग प्रकार का  ग्रुप लगा।  यहां सब आपस में बातचीत भी कर लेते हैं जिसकी बहुत जरूरत होती है मैं दरअसल लगातार इतना तेजी से नहीं पढ़ पाती हूं मैसेजेस को, तो बीच-बीच में पढ़ लेती हूं। हां बस इतना कहूंगी मुझे तो सब एक से बढ़कर एक लगे, क्या कहने हैं सबके। साधना दीदी का बहुत-बहुत आभार ,शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिनके कारण मुझे इस ग्रुप में शामिल होने का मौका मिला और  दुनिया  के कुछ और खूबसूरत लोगों  से मुलाकात हुई । वैसे गिरिजा दीदी का कहना ठीक है, लिखने में समय तो कट जाता है लेकिन वह आनंद नहीं आ पाता है जो गाना गाने में आता है।व्यस्त जिंदगी से मैं बहुत ज्यादा समय नहीं निकाल पाती हूं बहुत सारी जिम्मेवारी हैं इसलिए कभी कभार अगर मैं उपस्थित न हो पाऊं तो मुझे क्षमा कर देना 🙏

********************

तो हमने जाना कि यह मनपसंद गीत गाने का ग्रुप है जिसे दो सखियों की पहल पर आरम्भ किया गया और जो भी शौकिया गाती हैं, वे शनैः शनैः इस ग्रुप में जुड़ती गई हैं।  आज की पोस्ट में बस इतना ही। हम किस तरह जुड़े, यह जान लिया, आगे की  कहानी अगली बार।  
नमस्कार।  
धन्यवाद। 
पूजा अनिल 

 


Comments

हम कुछ नहीं कहे !
Archana Chaoji said…
अहा कहां से चले कहां जा मिले ......
अरे वाह ! आपने सब कुछ सहेज कर रखा पूजा...सभी को बहुत बहुत बधाई।
Sadhana Vaid said…
मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवां बनाता गया !

इस ग्रुप की भी यही कहानी है ! और इस कारवां के हमसफ़र भी कितने खूबसूरत हैं कि कुछ कहा ही नहीं जा सकता ! जितने भी हैं सब बेहद प्यारे, बेहद आत्मीय, एकदम दिल से जुड़े ! सुख के पलों में साथ जश्न मनाने वाले और दुख के पलों में बिलकुल कलेजे से लगा कर आँचल में दुबका लेने वाले ! ऐसा ग्रुप अन्यत्र कहीं होगा यह ख़याल ही क्ल्पनातीत है ! सबको खूब सारा प्यार और अनंत शुभकामनाएं !
इतना सब सहेजकर ग्रुप को और खास बना दिया। क्या कहने रचना जी
Madhulika Patel said…
बहुत सुंदर,सबने मिलकर कारवां बना दिया, बहुत सुंदर

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