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आज कुछ रचनात्मक हो जाये ....

हमारे ग्रुप गायें गुनगुनायें ने संगीत को हमेशा उपचार की तरह लिया है। हम शौकिया गीत गाने गुनगुनाने वाले सभी सदस्य साहित्य में भी रूचि और विशिष्टता रखते हैं।  इसलिए हम समय - समय पर टास्क के रूप में लेखन को भी स्थान देते रहे हैं।  हमारे इस ग्रुप में किसी पर कोई बंधन नहीं।  जब भी जिसे समय होता है गुनगुना लेते हैं , न हो तो सखियों के गाये गीत सुन लेते हैं। यदि बिल्कुल भी समय न हो तो बस "राम -राम " से अपनी उपस्थिति दर्ज़ कर लेते हैं।  यूँ कहें तो यह ग्रुप एक ऐसा परिवार है जहाँ हम छोटे - बड़े सब मिलकर गाने - गुनगुनाने के साथ - साथ अपने सुख -दुःख साझा करते हैं, कुछ कलात्मक करते हैं।  एक दूसरे से सीखते सिखाते रहते हैं।  इसी शृंखला में ३० सितम्बर को हमारे द्वारा दिया गया टास्क -  गुरुवार - स्वयं की लिखी 8लाइनें जिनमें - धूप-छांव,साँझ -सबेरा,आगे-पीछे,मौन -आवाज, धरती - आकाश , सुख - दुःख में से 6 शब्द हों और उन शब्दों पर आधारित गीत  पर जिन सखियों की रचनाऐं प्राप्त हुईं उन्हें सहेजकर आप सभी से साझा कर रही हूँ.....  साँझ की बेला, दूर क्षितिज पर सूरज ले रहा है विदा,अपनी धूप को सिमटा कर लालिमा