इत्ती सी हँसी,इत्ती सी खुशी , इत्ता सा टुकड़ा चाँद का
3अप्रैल को ग्रुप "गाओ गुनगुनाओ शौक से" की वर्षगांठ थी।
सुबह से मन था कि कुछ अलग करें ,और ये खास तरह की सेल्फी ली गई। इस भगमभाग भरी दुनिया में एक पल ठहरकर हँसने हँसाने के लिए, आईए आप भी दो पल रुके , हँसे हमारे साथ
(इस खास तरह की सेल्फी के लिए थोड़ा मुंह खोलें और मुस्कान को बढ़ाते हुए होठों के किनारों को ज्यादा से ज्यादा कान के पास ले जाने की कोशिश करें ।आँखें इस प्रयास में बंद हों तो भी चलेंगी 😂)।
इस तरह पहली सेल्फी लेकर ग्रुप पर भेजी और कहा इस तरह की फोटो चाहिए और देखिए एक दूसरे के लिए जान निछावर करने वाली सखियों ने क्या किया ।
नोट -
जो लोग बाकि बचे उनके फोटो मिलने पर पोस्ट कर दिए जाएंगे।
अर्चना चावजी
आराधना और मीठी
किट्टी व्यस्त थी शायद फिर भी मीठी के साथ रविवार मन गया हमारा।
रचना बजाज
रचना परसों ही राजकोट शिफ्ट हुई ast व्यस्त पड़े सामान के बीच ये पल निकाल ही लिया।
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
गिरिजा जी ने तुरंत पहले शॉट में पकड़ ली मुस्कान।
रश्मि कुच्चल
रश्मि का फोटो ब्लर हुआ ,दूसरे का इंतजार किया पर भेज नहीं पाई।
शोभना चौरे
शोभना जी बंगलौर से इंदौर होते हुए अपने गांव पहुंची हुई हैं गण गौर पर्व के बीच पल को कैद किया।
पूजा अनिल
ये हमारी मीठी है, शहद सी आवाज वाली पूजा।तीसरे प्रयास में दूर बैठकर भी माइग्रेन को धता बता हंसी को कैद किया।
साधना वैद
ग्रुप की वरिष्ठ बाल सदस्या ,लिखती हैं -
इतनी सेल्फी पहली बार खींच रहे ! वो भी इतना हँसते हुए ! घर में बाकी सब किचिन में भाँग की पुडिया ढूँढ रहे हैं कि हमें कहाँ से मिली !
🤣🤣🤣
वंदना अवस्थी दुबे
गुरुदेव देरी से आई थोड़ी और पुरानी फोटो से काम चलाने लगी रिजेक्ट हुई तो ये कल की हँसी पकड़ भेजी।
उषा किरण
चित्रकला में माहिर ये मैडम जी अपना मुंह नहीं खोल पा रही थी, इन्होंने दो बच्चों को सामने खड़ा करके चुटकुला सुना तब इतना मुंह खोल पाई 😂।
संध्या शर्मा
सबसे मेहनती शिष्या हमारी बालिका वधू निकली।एंगल पूछा समझ कर लगातार सेल्फी भेजी, जब तक ठहाका लगाने के कगार पर नहीं पहुंची तब तक।
शिखा वार्ष्णेय
और ये गोरी मेम भारत आकर आराम से पसरी पड़ी हैं, देखो हँसने की कला में निपुण ।
शुचि और उसका बेटा
शुचि की मुस्कुराहट हमारी उपलब्धि रही । अपनी माता को अभी ही खोया है उसने।लेकिन मां ही जानती है उसका मुस्कुराना कितना जरूरी है इस सारी सृष्टि के लिए उसका नन्हा कितनी निश्छल मुस्कान लिए है,जो हमारी कहीं खो चुकी।सदा खुश रहे बच्ची ।
सुनीति बैस
बाहर गई थी किसी काम से आनन फानन में दो फोटो भेजी दोनो रिजेक्ट होने पर फिर तीसरे प्रयास में थकान भरे चेहरे पर भी मुस्कान को कैद कर लिया।
ये मनमौजी दी। छत पर छिपकली को टांग हंस रही है।
घूबा पहाड़न की हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले। घुघुत को कमरे में बंद कर खिलखिला रही हैं।
रीता जी और रूबी
ये तस्वीर भेजते हुए रीता जी ने बताया कि ये रूबी है जो दीदी के घर हेल्पर का काम करती है,कल ही उसने अपनी दसवीं की परीक्षा सेकंड डिविजन में उत्तीर्ण की है।उसकी इतनी प्रेमल हंसी थी कि ग्रुप में न होते हुए भी उसका फोटो लगा देने का मन हुआ,साथ ही रूबी को उसकी इस उपलब्धि पर कोई गिफ्ट देने का मन भी हो आया, भला हो इस टेक्नोलॉजी का एक पल में रीता जी से कहा और जी पे कर दिया ,उन्होंने तुरंत सहायता राशि देकर फोटो भेज दी।अब उसकी आंखों में को चमक है वही मेरे ब्लॉग,"कदम" का उद्देश्य भी।
आप भी देखिए अचानक मिले उपहार की खुशी -
मीठा और संगीत पर कुशलता से गाने वाली कलाकार ने कल छुपाकर रखी थी अपनी हँसी।
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