चित्र एक-भाव अनेक
यह चित्र चित्रकला में सिद्धहस्त कलाकार आदरणीया उषा किरण दी का है| उषा दी की प्रकाशित पुस्तक 'ताना बाना' से मैंने टास्क के लिए आभार के साथ लिया है|
सभी को इस चित्र पर कविता लिखनी है और गीत भी गाने हैं| प्रस्तुत हैं उन सबकी प्रस्तुतियाँ
नैन हमारे सांझ सकारे
देखें लाखों सपने
सच ये कहीं
होंगे या नहीं
कोई जाने ना
कोई जाने ना यहाँ
2. रश्मिप्रभा दी
ये तेरे आने का वहम है
या कि तू आया है
मेरी आँखों में कुछ उमड़ आया है ...
खोलूँगी तो सखियाँ जान लेंगी,
मेरे बिन श्रृंगार के श्रृंगार पर
मुझे छेड़ छेड़ जाएंगी,
तू जहाँ है,
आ जल्दी से,
तेरे सीने में
अपने चेहरे की धड़कनें रख दूँ ...।
-- रश्मि प्रभा
गीत चयन
१.मस्त आँखों में शरारत कभी ऐसी तो न थी
ये शरमाने की आदत कभी ऐसी तो न थी
२.तुझे देखा तुझे चाहा तुझे पूजा मैंने
बस इतनी खता है मेरी और खता क्या
३. मेरी नींदों में तुम मेरे ख्याबों में तुम
हो चुके हम तुम्हारी मोहब्बत में गुम
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3. संध्या शर्मा जी
तुम्हारे आने की आहट पाकर
तुम्हारी सांसों की खुश्बू पाकर
इन बंद पलकों में
कैद कर रक्खी हैं
प्रीत की तितलियां मैने
तुम आकर मेरे माथे पर
अपने होठों की निशानी दे दो
और आज़ाद कर लो इन्हें ....
__ संध्या शर्मा ___
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4. शोभना चौरे दी
जान लेती हूं बंद
आंखो से तुम्हे
महसूस कर लेती हूं
स्पर्श तुम्हारा,
ये जो मेरे मेरी मुस्कान है
उसके सबब तुम हो
माना की मैं नहीं लाई
तुम्हें इस धरा पर
मेरे शिशु,
पर
मेरी संपूर्णता
का आधार तुम हो।
_शोभना चौरे
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5. अर्चना चावजी
लो मूंद ली आंखें मैंने
इन अधरों को आगे करके
पियो जाम तुम जी भर के अब
उंगलियों में केशों को भरके।
मैं तपती इस अंतर ज्वाला से
स्नेह निर्झर बरसाओ तुम
भीगे भीगे तन पर मेरे
मेघ बन बरस जाओ तुम ।
शांत,एकांत और मौन की भाषा
समझा लेंगे एक दूजे को
जब आंखें खोलूंगी प्रीतम
पा जाऊंगी अनुपम सुख को।
-- अर्चना चावजी
गीत चयन--
१.ये नयन डरे डरे ये जाम भरे भरे
जरा पीने दो कल की किसको खबर
मुझे जीने दो
२. दो हंसों का जोड़ा बिछड़ गयो रे
३. सजना है मुझे सजना के लिए
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6. साधना वैद दी
अब आ भी जाओ !
भोर भये तक तारे गिन गिन
काटी थी जब रैना
मूँद लिए थे नैन तभी
खोकर मन का सुख चैना
ठान लिया जब सम्मुख होगे
तब खोलूँगी नैना
सुन कर ही पदचाप तुम्हारी
मुखरित होंगे बैना
पाकर मृदु स्पर्श पुलक
चहकेगी मन की मैना
जो तुम आओ मेरे सामने
तब ही खोलूँ नैना !
अब आ भी जाओ !
------साधना वैद
गीत चयन
१. तस्वीर तेरी दिल में जब से उतारी है
२. म्हारो काजलियो बनो पलका में बंद कर रख लूँ
३. अश्कों से तेरी हमने तस्वीर बनाई है
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7. अंजु गुप्ता जी
हे परमात्मा !!
मैं तेरी ही कृति हूँ...
तेरी ही प्रति हूँ....
फूल कर ये अर्पण तुझे
हर दिन प्रार्थना ये मैं करूँ...
जब जब भटकूँ मैं पथ पे अगर
तो राह दिखा देंना तू मगर
करूँ जो पाप मैं कोई
सजा देना तू उसकी वोई
सब कुछ देना तू ...कुछ भी लेना तू...
बस हसरत एक यही है मेरी भर जीवन
प्यार न देना कभी भी तू मुझको कम
बंद नैनो में भी रहे तू ही समाया..
रहे मेरे आसपास भी तू ही मंडराया..
खोलूँ जब जब नैन ये मेरे..
तू ही हो बस सामने मेरे..
निकलूँ जब महायात्रा पर मैं
तो ........
अधखुली पलकों के भी तले
हाथ मेरा साथ हो तुम्हारे ही हाथ तले
,इस भव सागर से परे
ले चल मुझे चाहे वहाँ वहाँ
जहाँ जहाँ भी साथ तेरा चले
अंजू गुप्ता (तितली).....
२.
सुनो!! तुम प्रेम...
आ गये ना तुम,तो फिर सुनो ध्यान से...👍
मैं महसूस कर रही हूँ तुम्हें, अपने रग रग में होके तन्मय
मैं खुशबू ले रही हूँ तुम्हारी,अपनी साँसों में...
मैं गीत रच रही हूँ तुम्हारे, अपने मन मे...
मैं थिरक रही हूँ तुम्हारी और अपनी साँसों की थाप पर..
मेरे ये अधर ,,तुम्हारे इस नील कमल(चित्रित फूल) से अधरों का सामीप्य पा मचल उठे हैं....
मेरा तन तुम्हारे उन सैकड़ों स्पर्श की किताब बांच गया क्षण में....
तुम्हारे प्रेम की मादकता ,मुझे कहीं भृमित न कर दे......
तुम्हारे पंखुड़ियों की डंडी बाजू रूप मे मेरा अवलम्ब बन कही तुम्हें रोक न ले जाने से कहीं किसी शिवालय में...
जमाने की नजरों से तो मैं तुम्हें क्या बचाऊंगी
पहले खुद की नजरों से तो बचा लूँ तुम्हें...
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाये तुझे प्रेम मेरे
सो,इसीलिये ये नैन बंद किये हुए मैने मेरे...
खुद की नजर से बचाने को तुझे
ये अपनी बन्द नजरों की मौली एक पहना तूझे
दीदार नही तेरा,, बस पूरा आत्मसात किया यूँ मैने
अंजू(तितली)....
गीत चयन
पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फरमाना....
नैनों ने सपनों की महफ़िल सजाई है
तुम भी jruuuuur आना
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8. गिरिजा कुलश्रेष्ठ दी
रात दिन मुझको तपाए
सिर्फ तेरा ध्यान.
स्वत्व मेरा क्या कहां है
हर जगह तो तू रमा है.
हाशिये पर वास मेरा,
दो फलक तेरा जहां है.
सर्वव्यापी तू, बहुत संकीर्ण मेरा ज्ञान..
हर खुशी उपहार तेरा
दर्द भी है प्यार तेरा.
जो रुके तुझको वही दे,
क्या कहूं कुछ भी न मेरा.
नाम तेरा तिमिर वन में
ज्योति का सन्धान...
ज़िन्दगी यूं रुक न जाए.
सांस का घट चुक न जाए.
प्रतीक्षा की ज्वाल में,
विश्वास देखो फुंक न जाए.
तू अवनि है तू गगन है,
तू मेरा दिनमान...
-- गिरिजा कुलश्रेष्ठ
गीत चयन
१.दिल में तुझे बिठाके
कर लूँगी मैं बंद आँखें
पूजा करूँगी तेरी
होके रहूँगी तेरी
२.आओगे तुम जब साजना
अँगना में फूल खिलेंगे
बरसेगा सावन झूम झूम के
दो दिल ऐसे मिलेंगे
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9. डॉ उषा किरण दी
हठ न करो
मत कहो बार- बार
नहीं खोलूँगी पलकें
कभी नहीं !
क्योंकि जानती हूँ
कि इन्हें खोलते ही
जग जान जाएगा
मेरे मन की प्रीत !
मेरी आँखों की नम भाषा
कह देगी मेरे मन की
अनकही सब दास्तान
नहीं चाहती कोई जाने
कोई समझे
मेरे दिल की धड़कनों में
बसा संगीत
गाता है कौन सा राग ?
बन्द रहने दो पलकें
अभी हठ न करो
ए री सखि…!!
— उषा किरण
२
स्थूल से सूक्ष्म होते जाना ही है
जीवन- यात्रा
खाना- पीना ,रोना- हंसना
सबके बीच खुद को
रोपते जाना !
उलझे हुए खुद को खींच कर
लुढ़का कर
आगे बहा ले चलना
पर कई बार…
खुद को ही हमने
कील भी तो दिया है!
कब, कौन हवा
कहाँ उड़ा ले चले
किसे पता ?
होकर भी
स्वयम् अपने हम हैं कहाँ?
कभी बहुत छूट कर भी
पूर्ण हैं हम
और कभी
सम्पूर्ण होकर भी
घट रीता….!!
गीत चयन
१.ज़िन्दगी के रंग कई रे
साथी रे, जिंदगी के रंग कई रे
ज़िंदगी दिलों को कभी तोड़ती भी है
ज़िंदगी दिलों को कभी जोड़ती भी है
२. छाप तिलक सब छीनी रे
मोसे नैना मिलाए के
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10.पूजा अनिल
गीत चयन
माई री हाँ माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की================
11.डॉ मंजुला पांडेय जी
तुम्हारा साथ
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा ध्यान
देता है मुझे
अपूर्व शांति व सुकून
खो जाती हूं मैं
भूल जाती हूं
स्वयं को
अपने अस्तित्व व
अहं को....।
डॉ मंजुला पांडेय
गीत चयन
तेरा मेरा साथ रहे
धूप हो छाया हो
दिन हो के रात रहे
तेरा मेरा साथ रहे
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12. निरूपमा चौहान जी
आंखें बंद कर
हाथ में फूल लेकर
जब ध्यान करती हूँ तुम्हारा हे प्रभु
अश्रु टपकने लगते इन आँखों से
और मन प्रफुल्लित हो
चिर मुस्कान ले आता
होंठों पर और मन
पुकारता बारम्बार
कृपा है नाथ ..कृपा🙏
-- निरूपमा चौहान
गीत चयन
हे रोम रोम में बसने वाले राम
जगत के स्वामी हे अन्तर्यामी
मैं तुझसे क्या माँगूँ
Comments
नमन है आपकी लगन को 🙏