मन का कोना

 







दरिया नहीं कोई

जो तुझमें समा जाऊँगी 

रे सागर, 

तिरे सीने पे अपने

कदमों के निशाँ

छोड़ जाऊँगी…!!


                   — उषा किरण 




Comments

Manisha Goswami said…
बेहतरीन पंक्ति
वाह बेहतरीन।
वाह ...
लाजवाब पंक्तियाँ ...
Bharti Das said…
बहुत खूबसूरत सृजन

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