Posts

गौरैया और बचपन - २० मार्च २०२४ का टास्क

 नमस्कार बहनों, सखियों 🙏 मैं संध्या शर्मा आप सभी ने अपने शब्दों और भावों के रूप में जो उपहार दिया उसके लिए ख़ूब सारा प्यार और शुक्रिया आप सभी का। इतने सुंदर टास्क को सहेजना बहुत ज़रूरी था। इसलिए इसे ब्लॉग पर सहेज रही हूं। प्रस्तुत है आज का टास्क  बुधवार - बचपन में धूम और मस्ती तो सभी ने को होगी। तो एक किस्सा अपनी शरारत का और ऐसे गीत जिन्हें हम जब बहुत खुश होते हैं तब सुनना पसंद करते हैं। आज गौरैया दिवस भी है तो बुलाइए अपने शब्दों और भावों की आवाज़ देकर प्यारी सी चिड़िया को भी 🙏 लीजिए प्रस्तुत है इस टास्क पर लिखी गई सुंदर सुंदर भावपूर्ण रचनाएं  परिन्दों  !!!! नीलम मिश्रा कहां  से लाते  हो यह हौसला और यह  उड़ान  न बारिश  रोक पाती  है  तुम्हे  न ही तुम उनको  अलबत्ता  एक   अद्भुत सामंजस्य देख  पाती हूँ  तुम  बारिश  के रुकने  तक  पेडों  के कोटरों  में  और बारिश के थमने  पर उन्मुक्त  आकाश में!!!  तुमको   कोई ट्रैफिक और जाम  की फिक्र  नहीं  लम्बी  दूरी  और रास्तों  के लिये तुम थोडे  नजदीक  के पड़ाव जो  चुन लेती  हो तुम चाहती  हो अनन्त  आकाश  बचा रहे  तुम्हारी  उडाने  बची रहें  मेरी यह फिक्र क

संगीत मन शांत करता है - 2

Image
 ''गायें गुनगुनगुनाएँ शौक से'' क्या है? यह समूह कब और कैसे बना ? और इसकी नींव किसने रखी ? आइये, आज विस्तार से जानते हैं इस ग्रुप के विषय में।   कोई चार पांच साल पुरानी  बात है, एक दिन ( ठीक ठीक 3 अप्रैल 2017 ) को फेसबुक पर अर्चना चावजी की पोस्ट देखने को मिली थी कि वे एक गाने का व्हाट्सप्प समूह बनाने का सोच रही हैं जहाँ सिर्फ स्त्रियाँ ही होंगी। यहाँ देखिये उनका प्रस्ताव।   https://www.facebook.com/ archana.chaoji/posts/ 10209112120502378   इस पोस्ट को देख मन प्रसन्न हो गया और तत्काल कुछ और लोगों के अलावा हमने भी उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उनकी मंडली में शामिल हो गए।  हमारे साथ ही समान रूचि वाली कई अन्य ब्लॉगर मित्र भी थीं वहां। कुछ नियम बने, कुछ कानून और इस छोटे से कारवां में इस तरह गाने गुनगुनाने का सिलसिला चल निकला।    देखिये इस ग्रुप के निर्माण के सम्बन्ध में अर्चना चावजी ने क्या कहा -  शुरुआत वंदना और मेरी गीत भेजो सुनाओ से ही हुई थी।   मैने कोई गीत व्हाट्सएप पर भेजा सुनने को फिर उन्होंने भेजा फिर मैने ऐसा सिलसिला कुछ दिन चला फिर सोचा अपने जैसे गुनगुनाने का शौ

परिंदे व दीवारें - कविमन की बगिया में

Image
  गाएँ गुनगुनाएँ समूह में हर सप्ताह मिले टास्कों से समूह की नियमितता बनी रहती है| कभी कभी गीतों के अतिरिक्त कुछ टास्क अलग हटकर मिल जाते तो उन्हें सहेज लेने को जी चाहता है| ऐसा ही एक टास्क ग्रुप में लम्बे समय पश्चात् पुनः जुड़ कर सक्रिय हुई सदस्या शीतल माहेश्वरी ने दिया| उन्होंने एक चित्र दिया जिस पर सभी को अपने भाव व्यक्त करने थे| एक ही चित्र पर भावों ने कैसे कैसे रंग बदले, यह देखना अभूतपूर्व रहा| इस पोस्ट में पहले वही चित्र दे रही हूँ| उसके बाद रचनाकारों की कविताएँ होंगी| रचनाकारों का क्रम अभिव्यक्ति आने के क्रम के अनुसार रखा गया है| सर्वप्रथम शीतल द्वारा दिया गया चित्र देखें| टास्क का चित्र शीतल माहेश्वरी शामिल कवयित्रियाँ-- 1.रचना दीक्षित जी 2.ऋता शेखर 3.शोभना चौरे दी 4.प्रतिभा द्विवेदी जी 5.साधना वैद दी 6.अंजू गुप्ता तितली जी 7.रश्मिप्रभा दी 8. उषा किरण दी 9. गिरिजा कुलश्रेष्ठ दी 10. संध्या शर्मा जी 11. अर्चना चाव जी 12. पूजा अनिल ========================= ========================= 1. रचना दीक्षित    तन्हाई    कभी फुर्सत में देखती हूँ     अपने घर से     पीछे वाले घर की     एक विधवा

आपके राज्य में क्या खास है?

Image
हम सभी कभी किसी पर्यटन स्थल पर जाने की योजना बनाते हैं तो सोचते हैं कि वहा़ क्या खास है जो देखा जाए| यूँ तो हर जानकारी गूगल पर उपलब्ध है पर यदि वहाँ के निवासी किसी स्थल पर मुहर लगा दें तो वह जगह निश्चित रूप से दर्शनीय है| हम लेकर आए हैं वही खास स्थान| १. पटना- गोलघर - रश्मिप्रभा बचपन में जब पटना जाते थे, तब यह गोलघर बहुत विशिष्ट लगता था, दूर से इसे देखते हुए _ कहानियों, इसकी बनावट और उँची घुमावदार सीढ़ियों के पन्ने सामने होते थे । चढ़कर तो खुद में खास सा लगा था ।  वक्त बदला, अब यह गोलघर मुश्किल से नजर आता है, देखकर तरस आता है, फिर भी यह अपना इतिहास लिए आज भी खड़ा है, कभी पन्ने पलटिए,  नई पीढ़ी के आगे रखिए,  आपके राज्य में हो न हो, पर है यह खास । रश्मि प्रभा २. इंदौर राजबाड़ा - अर्चना चावजी अहिल्याबाई होलकर ने यहां राज किया था, आज भी वही पुरानी शान बान लिए शहर के मध्य में खड़ा है,आसपास बाजार है,घनी बस्ती बसी है,एक तरफ सराफा बाजार जहां दिन भर सोने,चांदी की दुकानें खुली रहती है तो रात में खाने पीने की, और दूसरी तरफ खजूरी बाजार जहां पुस्तको की दुकानें हैं, पुरानी पुस्तके लगभग आधे दाम में म